Sunday, July 13, 2008

पता नहीं क्यों खाते पीते, पढने की बातें, होती हैं !


डी पी एस ग्रेटर नॉएडा के, एक क्षात्र, रानू , जो कि, पढने लिखने में बहुत अच्छे होने के साथ साथ, खाने पीने में, भी मस्त हैं, के मन की बातें यहाँ दे रहा हूँ ! जब भी हम सब साथ साथ , खाने पर एक साथ बैठते तो बच्चों से उनके भविष्य की चर्चा तथा क्लास में उनकी पोजीशन की चर्चा जरूर होती ! स्वादिष्ट खाने के समय , पढाई की चर्चा , उनके मुहं का टेस्ट बदलने के लिए काफ़ी होती है !

मन मयूर सा नाच रहा हो,
तब ये बातें होती हैं !
पता नहीं क्यों खाते पीते, क्लास की बातें, होती हैं ?


मन को काबू कर , हिन्दी
और ग्रामर लेकर बैठा हूँ
मगर ध्यान में बार बार, क्यों आतिशबाजी होती है !

नाना पापा की बातें सुन
नींद सी आने लगती है
ऐसे बढ़िया मौसम में, एक्जाम की बातें, होती हैं !

सारे अक्षर गडमड होते
ध्यान पेट पर जाता है,
खाने पीने के मौसम मे, दुःख की बातें, होती हैं !

विश्व रेसलिंग के मौके पर
होम वर्क को करते करते
ग्रेट खली और इंग्लिश ग्रामर, आपस में गुथ जाते हैं !

कठिन गणित का प्रश्न क्लास
में, मैडम जब समझाती हैं,
उसी समय क्यों याद हमारे, कुकरी क्लासें, आती हैं !

हाथ में बल्ला लेकर जब मैं
याद सचिन को करता हूँ ,
उसी समय में ध्यान हमारे, कृष्णा मैडम आतीं हैं !
पता नहीं क्यों खाते पीते, पढने की बातें, होती हैं !









3 comments:

  1. वाह . वाह . सुंदरतम। यथार्थ। साधुवाद।

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  2. बहुत अच्छा! वास्तविकता है हम बच्चे को शान्ति से भोजन भी नहीं करने देते.

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  3. हल्के-फुल्के अंदाज़ में बहुत गंभीर प्रश्न उठाया है आपने। साधुवाद।

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