Saturday, March 20, 2010

किसी नारी के संग सिनेमा जाने का दिल करता है !

अपने किशोरावस्था के दिनों की यादें,  बरसों पहले लिखी इस हास्य रचना के जरिये ताजा हो  जाती हैं , आपको मुस्कराने हेतु नज़र है !


सोचता था बचपन से यार
बड़ा कर दे जल्दी भगवान
मगर अब बीत गए दस साल
जवानी बीती जाये यार ,
किसी नारी के संग ,सिनेमा जाने का दिल करता है !

क्लास में छिप छिप के मुस्कायं
फब्तियां करती दिल में चोट
अकेले में जब करते बात
पैर की जूती लेँ निकाल
किसी बगिया में इनके साथ ,घूमने का दिल करता है !

दूर ही बैठे है दिल थाम ,
आह भरते रहते मन मार
देख कर मेरी भोली शक्ल
तुम्हारा मुहं हो जाता लाल
क्रोध में जलती आँखें देख, दंडवत का दिल करता है !

अचानक दिल में उठी हिलोर
बुलाया तुमने आख़िर मोय
लगाकर इत्र फुलेल तमाम
सोंचता प्रिया मिलन की बात
देख प्रिंसिपल तेरे साथ, भागने का दिल करता है !

प्यार से पत्र लिखा तुमको
लिफाफा पोस्ट किया तुमको
एक दिन बापस लौटा घर
घर में तुम बैठी मम्मी पास
अरे फट जाये धरती आज, समाने का दिल करता है

17 comments:

  1. सतीश भाई,
    क्या बात है, खैरियत तो है, आज आपके इरादे बड़े क़ातिल नज़र आ रहे हैं....

    एक पोस्ट डाली...जवान कैसे रहें...

    दूसरी पोस्ट डाली...किसी नारी के संग सिनेमा जाने का दिल करता है...

    लगता है शाम को घर आकर भाभी जी से शिकायत करनी ही पड़ेगी...इरादे नेक नहीं लगते जनाब के...

    जय हिंद...

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  2. यह तो उम्र का तकाजा था, उस उम्र में सभी का दिल ऐसा ही होता है।

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  3. @खुशदीप सहगल,
    घर आने की ज़हमत क्यों उठाते हो खुशदीप भाई ! मैं ही आपसे मिलने आ जाऊँगा , तीखी कलम के साथ साथ बड़ी तीखी नज़र रखते हो यार...
    :-)

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  4. हा-हा-हा बहुत बढिया जी
    ये सभी 80 और 90 के दशक के किशोरों के दिल की बात कह दी जी आपने

    प्रणाम

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  5. हाह हाह हाहाह सतीश जी अब क्या कहूँ ,,,, बस हँस ही सकता हूँ सुनता हूँ जवानी की दहलीज पर सभी की येसी भावनाए होती है ,, खैर मै तो पत्थर हूँ कभी पाला नहीं पड़ा
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  6. सतीश जी कहते है जब आदमी बुढापे मै एक दो कदम रख ले तो ऎसे विचार आते है:) लेकिन अभी तो आप जवान है जी ६० साल मे कोई बुढा थोडे हो जाता है,लगता है भाभी जी मायक गई है, वर्ना ऎसे विचार केसे आ जाते....

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  7. हा हा!!

    जाने क्यूँ क्या याद आ गया.. :) जेब से रुमाल निकाल, आँख पौंछ लेने का दिल करता है.

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  8. वाह जी वाह क्या कहने।

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  9. @राज भाटिया,
    महाराज हमने अपनी उम्र प्रोफाइल से इस लिए थोड़ी हटाई थी की आप मेरी उम्र सरासर गलत ( ५ साल और अधिक )डिक्लेयर करदें ! आप जैसे दोस्त के होते दुश्मनों की जरूरत नहीं , सारा मूड बिगाड़ दिया :-(

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  10. इरादा पूरा हुआ या नही?
    मेरा भी मन अभी भी कुछ ऐसा ही करता है

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  11. वाह, आपका दिल भी ????तरन्नुम में अच्छी लगी यह रचना.

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  12. देख रहे हैं, हमारी भी नजर कुछ कम तीखी नही है. बल्कि टेढी भी है.:)

    रामराम.ब

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  13. हा...हा...हा...हा......हा...हा....
    समय समय की बात है। उस उम्र के साथ परिवेश बदलता रहता है। परिस्थियाँ बदलती हैं। बदली हुई परिस्थिति में एक सज्जन से उनके बेटे ने ‘हनीमून’ का मतलब पूछ बैठा। उनके उत्तर को कविता की भाषा में सुनिए..........

    "खजाना उसको कहते हैं जहाँ पर धन जमा होता।
    शराबी उसको कहते हैं जो दारू में रमा होता।।
    किया जब प्रश्न बच्चे ने कि होता है‘हनीमून’क्या-
    बताया उन्होंने उसको, शहद व चन्द्रमा होता।।"

    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  14. हा...हा...हा...हा......हा...हा....
    समय समय की बात है। उस उम्र के साथ परिवेश बदलता रहता है। परिस्थियाँ बदलती हैं। बदली हुई परिस्थिति में एक सज्जन से उनके बेटे ने ‘हनीमून’ का मतलब पूछ बैठा। उनके उत्तर को कविता की भाषा में सुनिए..........

    "खजाना उसको कहते हैं जहाँ पर धन जमा होता।
    शराबी उसको कहते हैं जो दारू में रमा होता।।
    किया जब प्रश्न बच्चे ने कि होता है‘हनीमून’क्या-
    बताया उन्होंने उसको, शहद व चन्द्रमा होता।।"

    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  15. मैं तो मना कर रहा था

    ना ........... री

    तेरे संग न जाऊं री
    ....

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  16. प्यार से पत्र लिखा तुमको
    लिफाफा पोस्ट किया तुमको
    एक दिन बापस लौटा घर
    घर में तुम बैठी मम्मी पास
    अरे फट जाये धरती आज, समाने का दिल करता है
    Ha,ha,ha!
    Ramnavmiki shubhkamaneye sweekar karen!

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !