Thursday, April 1, 2010

अविनाश वाचस्पति - राजीव तनेजा गैंग से सावधान !

                          बहुत खतरनाक गैंग है , आप इनकी शक्लों पर न जाइये घर बुलाते हैं ..बड़े प्यार से खाना खिलाते हैं ..और जब आपका मन प्रसन्न हो जाता है तब रसगुल्लों की प्लेट आपके हाथ देकर  अपना लैपटॉप खोल कर बैठते हैं और  इससे पहले कि आप कुछ समझ सकें, चौकन्ने हो सकें, निकलने की सोचें ,अपनी नयी रचना सुनना शुरू कर देते हैं  , और रचना भी इतनी लम्बी कि रसगुल्ले और लंच हज़म हो जाएँ मगर ख़त्म होने का नाम नहीं लेती और श्रीमान जी बंद होने का नाम नहीं लेते  ! उसके बाद उन कवियों का नंबर आता है जिन्हें श्रोता ढूंढे नहीं मिलते मुझे पूरा शक है कि उन कवियों से श्रोता इकट्ठे करने के लिए एक मोटी रकम ली जाती है जो श्रोताओं को दिए बिना साफ़ कर दी जाती है  ! उस दिन हम और खुशदीप सहगल इनके चक्कर में फँस गए और नहीं निकल पाए डॉ दराल और अजय झा चतुर खिलाड़ी हैं जो बढ़िया बहाने बना कर पहुंचे ही नहीं ! यकीन माने कविता सुनकर जितनी तालियाँ हम बजा रहे थे वे सब तब बजाते थे जब भाभी जी संजू तनेजा गरमा गरम पकौड़ों की प्लेट, मिठाइयाँ और चाय लातीं थीं  ! अलबेला खत्री भी बहुत सब्र किये बैठे सुनते रहे !   


लार्ज हेड्रन कोलाईडर के प्रयोग का आज दिन है , और हमें डरा रहें हैं कि दुनिया खत्म हो जायेगी तो इन्हें हमने यह शिकायत लिख भेजी  !


हमेशा के लिए विदाई लेते हैं दोस्त ,
पता नहीं कल रहे या न रहें
ऊपर भी आपसे एक शिकायत रहेगी ,
उस दिन राजीव तनेजा के घर पर
अपनी तो ३ पेज की रचना सुना दी
और हमारी बारी आयी तो बात ही घुमा दी


मेरा प्रस्ताव है कि सभी ब्लागर जब भी कहीं जाएँ तो पहले पूंछ लें कि कहीं कविता तो नहीं सुननी पड़ेगी और अगर सुननी पड़ी तो मेजवान को विदाई के समय हर ब्लागर को कम से कम ५०० रूपया पारिश्रमिक देना होगा  ! 
मगर यह लोग भी कम चालाक नहीं हैं भाभी जी से बिना पारिश्रमिक खाना और हमें बिना पारिश्रमिक श्रोता बनने 
पर मजबूर करते हैं  ! 


सलाह दें कि क्या किया जाये ??