tag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post6281637192852346369..comments2023-05-14T20:55:45.475+05:30Comments on लाइट ले यार !: दर्द दिया है तुमने मुझको दवा न तुमसे मांगूंगा !Satish Saxena http://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-86314566625214316762008-10-04T20:20:00.000+05:302008-10-04T20:20:00.000+05:30गर्व सदा ही खंडित करता रहा कल्पनाशक्ति कवि कीजंजीर...गर्व सदा ही खंडित करता <BR/>रहा कल्पनाशक्ति कवि की<BR/>जंजीरों से ह्रदय और मन<BR/>बंधा रहे गर्वीलों का,<BR/>मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा !<BR/>सतीश जी गर्वीलों के पास हे ही क्या? जो हम मागेगें. दिल व भावनाओं से निर्धन व्यक्ति जो खुद ही छीनने का आदी हो और अतृप्त हो किसी को क्या देगा, फ़िर आपके पास प्रेम है तो किसी अन्य की आवश्यकता ही कहां है.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-65718666383650309622008-09-30T10:48:00.000+05:302008-09-30T10:48:00.000+05:30विस्तृत ह्रदय मिला इश्वर सेसारी दुनिया ही घर लगतीप...विस्तृत ह्रदय मिला इश्वर से<BR/>सारी दुनिया ही घर लगती<BR/>प्यार नेह करुना और ममता<BR/>मुझको दिए विधाता ने<BR/>यह विशाल धनराशि प्राण अब क्या मैं तुमसे मांगूंगा !<BR/><BR/>जिसको कहीं न आश्रय मिलता<BR/>मेरे दिल में, रहने आये<BR/>हर निर्बल की रक्षा करने<BR/>का वर मिला विधाता से<BR/>दुनिया भर में प्यार लुटाऊं क्या निर्धन से मांगूंगा<BR/><BR/>बहुत खूबसूरत, काश, काश सतीश जी ऐसा ही मन सब का होता...लेकिन पता नही क्यों, मन बनते हुए शायद अल्लाह ताला को कोई कमी पड़ गई थी इसीलिए कुछ कीमती अच्छे बनाए, लेकिन कम, बुरे बनाए ज़्यादा..शायद सस्ते पड़े होंगे....<BR/>क्या बात है आपकी....जिसको कहीं न आश्रय मिलता<BR/>मेरे दिल में, रहने आये....कितना प्यारा ख्याल है...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-16450654604666504292008-09-30T00:35:00.000+05:302008-09-30T00:35:00.000+05:30गर्व सदा ही खंडित करता रहा कल्पनाशक्ति कवि कीजंजीर...गर्व सदा ही खंडित करता <BR/>रहा कल्पनाशक्ति कवि की<BR/>जंजीरों से ह्रदय और मन<BR/>बंधा रहे गर्वीलों का,<BR/>मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा ! <BR/><BR/><BR/>---बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-6787459817852439302008-09-29T23:52:00.000+05:302008-09-29T23:52:00.000+05:30सतीश जी बहुत ही उम्दा, क्या बात हे... दान से बढ कर...सतीश जी बहुत ही उम्दा, क्या बात हे... दान से बढ कर कोई धर्म नही हे दुनिया मे...<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-27518082440070716342008-09-29T22:29:00.000+05:302008-09-29T22:29:00.000+05:30एक दार्शनिक चिंतनएक दार्शनिक चिंतनBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-15833496960113813132008-09-29T20:46:00.000+05:302008-09-29T20:46:00.000+05:30bahut achchebahut achcheAnil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-23192934085861796432008-09-29T18:17:00.000+05:302008-09-29T18:17:00.000+05:30प्रेम में दान और धर्म का क्या काम?प्रेम में दान और धर्म का क्या काम?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-22231570416711075682008-09-29T18:04:00.000+05:302008-09-29T18:04:00.000+05:30बहुत सुंदर। नीरज की याद ताज़ा कर दी आपने:-'मेरा श्य...बहुत सुंदर। नीरज की याद ताज़ा कर दी आपने:-<BR/>'मेरा श्याम सकारे मेरी हुण्डी आधी रात को,<BR/> मुझे ज़रूरत क्या जो जाऊं किसी राजदरबार में'<BR/>हार्दिक बधाई।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-32711900392154611752008-09-29T17:23:00.000+05:302008-09-29T17:23:00.000+05:30वाह! बहुत सुंदर लिखा है. बधाई.वाह! बहुत सुंदर लिखा है. बधाई.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-87321808529105296392008-09-29T16:44:00.000+05:302008-09-29T16:44:00.000+05:30मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा...मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा !<BR/>बहुत मस्त रचना ! यहाँ फक्कड़ शब्द ऐसा लग रहा है जैसे किसी सूफी संत की <BR/>वाणी पढ़ रहे हों ! बहुत धन्यवाद आपको !भूतनाथhttps://www.blogger.com/profile/08246888424952274172noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-57927672992972659732008-09-29T16:41:00.000+05:302008-09-29T16:41:00.000+05:30जिसको कहीं न आश्रय मिलतामेरे दिल में, रहने आयेहर न...जिसको कहीं न आश्रय मिलता<BR/>मेरे दिल में, रहने आये<BR/>हर निर्बल की रक्षा करने<BR/>का वर मिला विधाता से<BR/>दुनिया भर में प्यार लुटाऊं क्या निर्धन से मांगूंगा !<BR/><BR/>क्या लाजवाब रचना है ? बहुत बहुत शुभकामनाएं !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-14168119658580403212008-09-29T14:14:00.000+05:302008-09-29T14:14:00.000+05:30बहुत बेहतरीन रचना है।बधाई स्वीकारें।गर्व सदा ही खं...बहुत बेहतरीन रचना है।बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/><BR/>गर्व सदा ही खंडित करतारहा<BR/>कल्पनाशक्ति कवि की<BR/>जंजीरों से ह्रदय और मन<BR/>बंधा रहे गर्वीलों का,<BR/>मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा !परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1060218848016965331.post-75029891403841349282008-09-29T13:59:00.000+05:302008-09-29T13:59:00.000+05:30प्रिये दान से बढ कर कोईधर्म नही है, दुनिया में !खो...प्रिये दान से बढ कर कोई<BR/>धर्म नही है, दुनिया में !<BR/>खोल ह्रदय कर प्राण निछावर<BR/>बड़ा प्यार है, दुनिया में<BR/>मेरा जीवन बना दान को क्या याचक से मांगूंगा !<BR/>'which expressions could be more beautiful than the above said lines , so touching and inspiring"<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com