सरवत जमाल को दोस्त ही नहीं बनाता तो अच्छा था कम से कम यह तकलीफ तो नहीं होती , निर्मला कपिला जी की बात समझ आयेगी या नहीं मैं नहीं जानता, मगर उन्हें यह जरूर बतलाइयेगा कि इस ब्लाग जगत में लोगों को बहुत याद रखने की आदत नहीं है ! कुछ दिनों में यह सरवत जमाल को भूल जायेंगे मगर निर्मला जी जैसे अथवा उनके कुछ नालायक लोग ( मेरे जैसे ) दर्द के साथ याद रखेंगे कि नाहक एक बेहद संवेदनशील दोस्त बनाया, जो हमें भी तकलीफ देकर चला गया !
अपने प्यारों के बीच संवेदनशीलता अच्छा गुण है ! रास्ता चलते लोगों से अपनी संवेदनशीलता की क़द्र करवाने की इच्छा करके सिर्फ अपने दोस्तों को दुखी करना भर होता है, और हमारे हुजूर दोस्त तो शायर हैं , अगर रास्ता चलते लोगों की बेहूदगियों की शिकायत करनी है तो शेरों में जगह दें जिससे दुनिया की आँखें खुलें ! किससे उम्मीदें कर रहे हैं यहाँ ... ??
साहिल के तमाशाई , हर डूबने वाले पर ,
अफ़सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते !
दुखी होकर, ग़ज़ल लेखन रोक कर, आप सिर्फ एक घटिया मानसिकता का मकसद कामयाब कर रहे हैं भाई जी !
इंतज़ार में, आपका