सोचता था बचपन से यार
बड़ा कर दे जल्दी भगवान
मगर अब बीत गए दस साल
जवानी बीती जाये यार ,
किसी नारी के संग ,सिनेमा जाने का दिल करता है !
क्लास में छिप छिप के मुस्कायं
फब्तियां करती दिल में चोट
अकेले में जब करते बात
पैर की जूती लेँ निकाल
किसी बगिया में इनके साथ ,घूमने का दिल करता है !
दूर ही बैठे है दिल थाम ,
आह भरते रहते मन मार
देख कर मेरी भोली शक्ल
तुम्हारा मुहं हो जाता लाल
क्रोध में जलती आँखें देख, दंडवत का दिल करता है !
अचानक दिल में उठी हिलोर
बुलाया तुमने आख़िर मोय
लगाकर इत्र फुलेल तमाम
सोंचता प्रिया मिलन की बात
देख प्रिंसिपल तेरे साथ, भागने का दिल करता है !
प्यार से पत्र लिखा तुमको
लिफाफा पोस्ट किया तुमको
एक दिन बापस लौटा घर
घर में तुम बैठी मम्मी पास
अरे फट जाये धरती आज, समाने का दिल करता है
सतीश भाई,
ReplyDeleteक्या बात है, खैरियत तो है, आज आपके इरादे बड़े क़ातिल नज़र आ रहे हैं....
एक पोस्ट डाली...जवान कैसे रहें...
दूसरी पोस्ट डाली...किसी नारी के संग सिनेमा जाने का दिल करता है...
लगता है शाम को घर आकर भाभी जी से शिकायत करनी ही पड़ेगी...इरादे नेक नहीं लगते जनाब के...
जय हिंद...
यह तो उम्र का तकाजा था, उस उम्र में सभी का दिल ऐसा ही होता है।
ReplyDelete@खुशदीप सहगल,
ReplyDeleteघर आने की ज़हमत क्यों उठाते हो खुशदीप भाई ! मैं ही आपसे मिलने आ जाऊँगा , तीखी कलम के साथ साथ बड़ी तीखी नज़र रखते हो यार...
:-)
हा-हा-हा बहुत बढिया जी
ReplyDeleteये सभी 80 और 90 के दशक के किशोरों के दिल की बात कह दी जी आपने
प्रणाम
हाह हाह हाहाह सतीश जी अब क्या कहूँ ,,,, बस हँस ही सकता हूँ सुनता हूँ जवानी की दहलीज पर सभी की येसी भावनाए होती है ,, खैर मै तो पत्थर हूँ कभी पाला नहीं पड़ा
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
सतीश जी कहते है जब आदमी बुढापे मै एक दो कदम रख ले तो ऎसे विचार आते है:) लेकिन अभी तो आप जवान है जी ६० साल मे कोई बुढा थोडे हो जाता है,लगता है भाभी जी मायक गई है, वर्ना ऎसे विचार केसे आ जाते....
ReplyDeleteहा हा!!
ReplyDeleteजाने क्यूँ क्या याद आ गया.. :) जेब से रुमाल निकाल, आँख पौंछ लेने का दिल करता है.
वाह जी वाह क्या कहने।
ReplyDelete@राज भाटिया,
ReplyDeleteमहाराज हमने अपनी उम्र प्रोफाइल से इस लिए थोड़ी हटाई थी की आप मेरी उम्र सरासर गलत ( ५ साल और अधिक )डिक्लेयर करदें ! आप जैसे दोस्त के होते दुश्मनों की जरूरत नहीं , सारा मूड बिगाड़ दिया :-(
इरादा पूरा हुआ या नही?
ReplyDeleteमेरा भी मन अभी भी कुछ ऐसा ही करता है
वाह, आपका दिल भी ????तरन्नुम में अच्छी लगी यह रचना.
ReplyDeleteदेख रहे हैं, हमारी भी नजर कुछ कम तीखी नही है. बल्कि टेढी भी है.:)
ReplyDeleteरामराम.ब
bahut khoob !
ReplyDeleteaanand aa gaya
हा...हा...हा...हा......हा...हा....
ReplyDeleteसमय समय की बात है। उस उम्र के साथ परिवेश बदलता रहता है। परिस्थियाँ बदलती हैं। बदली हुई परिस्थिति में एक सज्जन से उनके बेटे ने ‘हनीमून’ का मतलब पूछ बैठा। उनके उत्तर को कविता की भाषा में सुनिए..........
"खजाना उसको कहते हैं जहाँ पर धन जमा होता।
शराबी उसको कहते हैं जो दारू में रमा होता।।
किया जब प्रश्न बच्चे ने कि होता है‘हनीमून’क्या-
बताया उन्होंने उसको, शहद व चन्द्रमा होता।।"
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
हा...हा...हा...हा......हा...हा....
ReplyDeleteसमय समय की बात है। उस उम्र के साथ परिवेश बदलता रहता है। परिस्थियाँ बदलती हैं। बदली हुई परिस्थिति में एक सज्जन से उनके बेटे ने ‘हनीमून’ का मतलब पूछ बैठा। उनके उत्तर को कविता की भाषा में सुनिए..........
"खजाना उसको कहते हैं जहाँ पर धन जमा होता।
शराबी उसको कहते हैं जो दारू में रमा होता।।
किया जब प्रश्न बच्चे ने कि होता है‘हनीमून’क्या-
बताया उन्होंने उसको, शहद व चन्द्रमा होता।।"
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
मैं तो मना कर रहा था
ReplyDeleteना ........... री
तेरे संग न जाऊं री
....
प्यार से पत्र लिखा तुमको
ReplyDeleteलिफाफा पोस्ट किया तुमको
एक दिन बापस लौटा घर
घर में तुम बैठी मम्मी पास
अरे फट जाये धरती आज, समाने का दिल करता है
Ha,ha,ha!
Ramnavmiki shubhkamaneye sweekar karen!