Thursday, June 5, 2008
कविता लेखन
देवी जी ने मूड बनाया कविता लिखतीं कचरे पे !
कागज कलम उठा कर उसने करी चढाई कचरे पे
चार दिनों से यारो घर में भोजन बनता कचरे सा
कविता बने यथार्थ वादी, घर को बदला कचरे सा
कचरे-वालों को बुलवाने बेटा भेजा कचरे पर !
इंटरव्यू देने को आए सड़े भिखारी कचरे से !
देवीजी का दिल भर आया हालत देखी कचरे की
घर में उस दिन बनी ना रोटी यादें आयीं कचरे की
लिख लिख कागज फाड़ के फेंके, ढेर लगाया कचरे का
गृह सुन्दरता रास न आए प्रीत लगाई कचरे से
कहतीं मेरी कविता का स्टैंडर्ड नही है कचरे सा
काल पात्र में रखने लायक कविता मेरी कचरे की
जैसे कभी नहीं खाली हो सकती धरती कचरे से
वैसे मेरी यह रचना भी अमर रहेगी कचरे सी !
सतीश
कागज कलम उठा कर उसने करी चढाई कचरे पे
चार दिनों से यारो घर में भोजन बनता कचरे सा
कविता बने यथार्थ वादी, घर को बदला कचरे सा
कचरे-वालों को बुलवाने बेटा भेजा कचरे पर !
इंटरव्यू देने को आए सड़े भिखारी कचरे से !
देवीजी का दिल भर आया हालत देखी कचरे की
घर में उस दिन बनी ना रोटी यादें आयीं कचरे की
लिख लिख कागज फाड़ के फेंके, ढेर लगाया कचरे का
गृह सुन्दरता रास न आए प्रीत लगाई कचरे से
कहतीं मेरी कविता का स्टैंडर्ड नही है कचरे सा
काल पात्र में रखने लायक कविता मेरी कचरे की
जैसे कभी नहीं खाली हो सकती धरती कचरे से
वैसे मेरी यह रचना भी अमर रहेगी कचरे सी !
सतीश
3 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अच्छा, मज़ा आ गया
ReplyDelete(भाई साहब, वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें)
WAH! SIR JEE KAMAL KI KAVITA...MAZA AA GAYA.
ReplyDeletebehtreen.....maza aa gaya.
ReplyDelete