Monday, June 22, 2009
क्या आप अपनी दशा (या दुर्दशा) पर खुल कर हंसते हैं ?
ब्लाग जगत में हास्य की याद आते ही भाई बृजमोहन श्रीवास्तव की एक रचना याद आजाती है जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी ...( या भगवान जाने किसके लिए ....?) के लिए लिखा था !
"इस पार प्रिये तुम हो , गम हैं ,
उस पार तो कुछ अच्छा होगा "
बेचारे पति की यह बेबसी और फिर भी हिम्मत न हारने का इससे अच्छा उदाहरण अन्यंत्र दुर्लभ है ! दो शब्दों में लगता है सारे पतियों की और से सब कुछ बयां कर डाला ! ;-)
"इस पार प्रिये तुम हो , गम हैं ,
उस पार तो कुछ अच्छा होगा "
बेचारे पति की यह बेबसी और फिर भी हिम्मत न हारने का इससे अच्छा उदाहरण अन्यंत्र दुर्लभ है ! दो शब्दों में लगता है सारे पतियों की और से सब कुछ बयां कर डाला ! ;-)
13 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
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बहुत सही व्यथा व्यक्त की है.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुये पर लाजवाब लिखा है. बधाई
ReplyDeleteरामराम.
बच्चन जी ने कभी न सोचा होगा कि ऐसी दिशा लेगा उनका गीत!! :)
ReplyDeleteउस paar जायेंगे तब न पता chalega. जाने ही नहीं degi!
ReplyDeleteइतनी बुरी ते नही होती बेचारी पत्नियाँ ।
ReplyDelete"इस पार प्रिये तुम हो , गम हैं ,
ReplyDeleteउस पार तो कुछ अच्छा होगा "
wah. wah
प्रिय सतीश आपके इस वाक्यांश “””|उन्होंने अपनी पत्नी ...( या भगवान जाने किसके लिए ....?)””! भगवान् जाने किसके लिए .....पर झगडा हो गया |बताओ किसके वारे में लिखा है ?नहीं तो ठीक नहीं होगा |,,मेरे होते हुए कौन तुम्हे गम दे सकता है?
ReplyDeletekhushi ho ya kaanju dikhne chahiye....
ReplyDelete...ek baar shayad good day ke ad. main suna tha !!
अरे जून के बाद से लिखना क्यों बंद कर दिए --कुछ हो गया क्या ---लाइट ले यार।
ReplyDeleteयह उम्मीद ही तो पतियों को जिन्दा रखती है कि इस शायद उस जहान में वह और गम न हो.
ReplyDelete"इस पार प्रिये तुम हो , गम हैं ,
ReplyDeleteउस पार तो कुछ अच्छा होगा "
बहुत ही बढ़िया - हँसे बिना नहीं रह सका.. वैसे अपने ऊपर जिसने हँसना सीख लिया.. उसको जीना आ गया.
हा हा हा हा हा हा हा ...निर्मल आनंदम...
ReplyDeleteनीरज
aapka javaab nahi bhaiya...
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